याद आता है बहुत वो गुजरा हुआ ज़माना
वो अपनी स्कूल की लाइफ वो बचपन का याराना
वो सुबह-सुबह मम्मी का हमको जगाना
और हमारा मम्मी को कहानियां सुनाना
वो गुस्से में मम्मी का डांटना
और रात में डैडी से शिकायत करना
वो असेम्बली प्रयेर, वो असेम्बली का तराना
वो घंटी बजते हे क्लास से निकलना
वो लंच में जाकर छोले -भटूरे समोसे खाना
वो तपती धुप में अजमल खान ग्रौंद में खेलने जाना
लेफ्ट राईट लेफ्ट राईट कहते हाथों का उठाना
पि टी टीचर को धोखा दे कर घुमने जाना
वो बात बात पर टीचर से जीद करना
वो गलतिओं पर मासूमियत से सॉरी करना
वो रात को होमवर्क के वक़्त बहाने करना
और क्लास में मिस सिंघल से पनिशमेंट मिलना
लेट स्कूल जाने पर जेंनिफेर मेम से झाड़ खाना
और फिर दयावान मिस वढेरा का हमको बचाना
वो शरारतें वो कहानिया
लोग जिनको कहते थे शैतानियाँ
मुड़ कर देखता हूँ तो सोचता हूँ की
क्या जमाना था वो जो गुजर गया
वो जमाना कितना सुहाना था
वाकई क्या जमाना था ,वाकई क्या जमाना था
वो अपनी स्कूल की लाइफ वो बचपन का याराना
वो सुबह-सुबह मम्मी का हमको जगाना
और हमारा मम्मी को कहानियां सुनाना
वो गुस्से में मम्मी का डांटना
और रात में डैडी से शिकायत करना
वो असेम्बली प्रयेर, वो असेम्बली का तराना
वो घंटी बजते हे क्लास से निकलना
वो लंच में जाकर छोले -भटूरे समोसे खाना
वो तपती धुप में अजमल खान ग्रौंद में खेलने जाना
लेफ्ट राईट लेफ्ट राईट कहते हाथों का उठाना
पि टी टीचर को धोखा दे कर घुमने जाना
वो बात बात पर टीचर से जीद करना
वो गलतिओं पर मासूमियत से सॉरी करना
वो रात को होमवर्क के वक़्त बहाने करना
और क्लास में मिस सिंघल से पनिशमेंट मिलना
लेट स्कूल जाने पर जेंनिफेर मेम से झाड़ खाना
और फिर दयावान मिस वढेरा का हमको बचाना
वो शरारतें वो कहानिया
लोग जिनको कहते थे शैतानियाँ
मुड़ कर देखता हूँ तो सोचता हूँ की
क्या जमाना था वो जो गुजर गया
वो जमाना कितना सुहाना था
वाकई क्या जमाना था ,वाकई क्या जमाना था
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