आज फिर एक सुहाना सा सपना देखा
खुद को सपने में भी बड़ा तनहा पाया
घंटों, भीड़ में घुमते रहे हम-तुम
हाँथ जब तुमने छोड़ा मेरा तो, तनहा लगा
एक उम्मीद है की फिर से जी लूँ वो पल
कितनी मुद्दत से वो पल अकेला रहा
खुद को सपने में भी बड़ा तनहा पाया
घंटों, भीड़ में घुमते रहे हम-तुम
हाँथ जब तुमने छोड़ा मेरा तो, तनहा लगा
एक उम्मीद है की फिर से जी लूँ वो पल
कितनी मुद्दत से वो पल अकेला रहा
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