जाने कहाँ से आ रही थी
यह धक-धक फिर कह रही थी
की चल फिर ,एक बार मेरे साथ
मैं , ओ दिल , तेरी धरकन हूँ
मुझसे अलग , तू अकेला है
और मैं चुप चाप खड़ी सोचती रही
एक मैं हूँ, मेरा दिल है और उसकी धड़कन है
हम सब कभी मिल जाते तो अच्छा था
काश हम सब मिल पाते तो अच्छा था.....