इस बार दूर दूनिया देशों का कैलेंडर
टांगा है दीवार पर
जैसे दिन के साथ महीने बदलते गए
और महीने सालों में ढलते गए
हर माह दूर दुनियाँ , देशों की
रंगीन तस्वीर में उतर कर
मैं हर पल नए महीने जीती रही
सिर्फ एक ही धुन में की "तुम्हारी यादों" को
मैं दुनिया के हर कोने तक ले जा सकूँ
लेकिन मौसमों ने शायद मुझसे बगावत की है
बिना बुलाए, बिना सुने, चले आतें हैं
सर्दी, गर्मी, बरसात।
और फिर सर्दी गर्मी बरसात
मेरे आस पास चकर काटते ,
थकते नहीं, रुकते नहीं
और मैं सोचती रह जाती हूँ
टांगा है दीवार पर
जैसे दिन के साथ महीने बदलते गए
और महीने सालों में ढलते गए
हर माह दूर दुनियाँ , देशों की
रंगीन तस्वीर में उतर कर
मैं हर पल नए महीने जीती रही
सिर्फ एक ही धुन में की "तुम्हारी यादों" को
मैं दुनिया के हर कोने तक ले जा सकूँ
लेकिन मौसमों ने शायद मुझसे बगावत की है
बिना बुलाए, बिना सुने, चले आतें हैं
सर्दी, गर्मी, बरसात।
और फिर सर्दी गर्मी बरसात
मेरे आस पास चकर काटते ,
थकते नहीं, रुकते नहीं
और मैं सोचती रह जाती हूँ
की काश "तुम्हारी यादों" का भी कोई मौसम होता
या कैलेंडर में एक महीना जो सिर्फ "तुम्हारा" होता
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